कमाल की बात है कि जो टीम पूरे साल अभी तक किसी के हाथों नहीं हारी वह पूरे साल में सिर्फ दो मैच जीतने वाली टीम से हार गई। ना सिर्फ हार गई बल्कि वनडे सीरीज ही गंवा बैठी। नेटवेस्ट सीरीज में जहां द. अफ्रीका ने इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचा वहीं इंग्लैंड ने भी वनडे सीरीज जीतकर अपने झंडे गाड़ दिये।
कमल कान्त वर्मा
नेटवेस्ट सीरीज में वो देखने को मिला जो अभी तक शायद ही देखने को मिला होगा। लगातार जीतने वाली दक्षिण अफ्रीका की टीम लगातार हार झेल रही टीम के सामने टूट कर बिखर गई। इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज के दौरान दक्षिण अफ्रीका की टीम अपनी लाज बचाने की जुगत करती दिखाई दी। इस सीरीज में ध्यान देने वाली बात यह है कि अचानक से अपनी फोर्म में आई इंग्लैंड की टीम ने आखिर ऐसा क्या पाया कि वह दक्षिण अफ्रीका पर इस कदर हावी हो गई। यदि आंकडों की बात की जाए तो इस साल में दक्षिण अफ्रीका ने अभी तक 12 मैच खेले जिसमें से वह आठ में अपनी जीत दर्ज कर पाई। यह सही है कि यह सारे मैच वह कम अंतर से जीती, मगर जीतने में सफल रही। नेटवेस्ट सीरीज से पहले वेस्ट इंडीज और बांग्लादेश को क्लीन स्वीप देने वाली दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड में ऐसा प्रदर्शन करके दिखाएगी यह किसी ने नहीं सोचा था।
वहीं आंकडे यह भी बताते हैं कि इंग्लैंड ने साल 2008 में इस नेटवेस्ट सीरीज से पहले कुल 11 मैच खेले जिसमें से सिर्फ दो मैच में ही वह जीत सकी। बाकी सभी मैचों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा। मगर नेटवेस्ट सीरीज के दौरान टीम पूरी तरह से अपनी फोर्म में नजर आई। इन दोनों के मुकाबले में एक बात और देखने को मिली। वह यह थी कि जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका को इंग्लैंड ने इस सीरीज के दौरान मात दी, ठीक उसी तरह से वह पहले के आठ मैच जीती भी थी। इस सीरीज में तीन बार ऐसा हुआ जब दक्षिण अफ्रीका की टीम 200 रन भी नहीं बना सकी। इसी सीरीज के दौरान टीम की ऐसी भदद भी पिटी की वह महज 83 रन बनाकर पवेलियन में रखी कुर्सियों पर आहें भरती नजर आई। यदि दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच अभी तक हुए कुल मैचों की बात की जाए तो यह आंकडा दक्षिण अफ्रीका के ही पक्ष में जाता है। 1992 से 2008 तक इन दोनों के बीच 39 मैच खेले गए जिसमें 22 का फैसला दक्षिण अफ्रीका के पक्ष में रहा तो 15 इंग्लैंड की झोली में जाकर गिरे। मगर, हां इंग्लैंड में होने वाले मैचों में यह आंकडा इंग्लैंड के ही पक्ष में जाता है। अपने घरेलू मैदान पर जीतने वालों में इंग्लैंड कहीं आगे है। इसका सीधा सा अर्थ है कि उसे अपने घरेलू मैदान पर खेलने का पूरा अनुभव है, साथ ही वहां पर मौजूद तमाम परिस्थितियां भी उन्हीं के अनुकूल दिखाई देती हैं। मगर वहीं दक्षिण अफ्रीका की हालत इंग्लैंड में खेलने के मामले में पहले से ही पतली रही है।
1975 से 2008 तक दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड के मैदान में 28 बार अपनी किस्मत आजमाई। मगर वह सिर्फ 13 बार ही सफल हो पाए। इस बार की सीरीज में मैच गंवा कर दक्षिण अफ्रीका इन्हीं आंकडों में इजाफा कर रही है। इसके अलावा इससे पहले कभी भी इंग्लैंड की टीम ने इस तरह से क्लीन स्वीप करके कोई सीरीज नहीं जीती है। यह भी अपने आप में अहम है। इसके पीछे एक वजह समझ में आती है और वह यह है कि दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखने को मिली है। यदि इस टीम के सिर्फ मध्यक्रम बल्लेबाजों की बात की जाए तो नेटवेस्ट सीरीज के दौरान कॉलिस, डिविलियर्स, डयूमिनी और बाउचर जैसे महारथियों ने मिलकर महज 242 रन ही बनाए हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज भी इस सीरीज में पूरी तरह से नाकाम रहे। इस क्रम के बल्लेबाजों में यदि कॉलिस को छोड दे तो किसी भी बल्लेबाज ने इस सीरीज में कोई अर्द्धशतक नहीं बनाया। कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी रहे जो अपना खाता खोलने से पहले ही पवेलियन लौट गए। कुल मिलाकर इन सभी का खामियाजा पूरी टीम को सीरीज हारकर चुकाना पड़ रहा है। हालाकि इससे पहले ही दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड से 2-1 से टेस्टमैच की सीरीज जीतकर एक इतिहास बनाया था, वहीं एक इतिहास इंग्लैंड भी बना रहा है 5-0 से जीतकर। दोनों ही टीमों का एक ही जमीन पर अलग अलग सीरीज जीतने का ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है।
कमल कान्त वर्मा
नेटवेस्ट सीरीज में वो देखने को मिला जो अभी तक शायद ही देखने को मिला होगा। लगातार जीतने वाली दक्षिण अफ्रीका की टीम लगातार हार झेल रही टीम के सामने टूट कर बिखर गई। इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज के दौरान दक्षिण अफ्रीका की टीम अपनी लाज बचाने की जुगत करती दिखाई दी। इस सीरीज में ध्यान देने वाली बात यह है कि अचानक से अपनी फोर्म में आई इंग्लैंड की टीम ने आखिर ऐसा क्या पाया कि वह दक्षिण अफ्रीका पर इस कदर हावी हो गई। यदि आंकडों की बात की जाए तो इस साल में दक्षिण अफ्रीका ने अभी तक 12 मैच खेले जिसमें से वह आठ में अपनी जीत दर्ज कर पाई। यह सही है कि यह सारे मैच वह कम अंतर से जीती, मगर जीतने में सफल रही। नेटवेस्ट सीरीज से पहले वेस्ट इंडीज और बांग्लादेश को क्लीन स्वीप देने वाली दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड में ऐसा प्रदर्शन करके दिखाएगी यह किसी ने नहीं सोचा था।
वहीं आंकडे यह भी बताते हैं कि इंग्लैंड ने साल 2008 में इस नेटवेस्ट सीरीज से पहले कुल 11 मैच खेले जिसमें से सिर्फ दो मैच में ही वह जीत सकी। बाकी सभी मैचों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा। मगर नेटवेस्ट सीरीज के दौरान टीम पूरी तरह से अपनी फोर्म में नजर आई। इन दोनों के मुकाबले में एक बात और देखने को मिली। वह यह थी कि जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका को इंग्लैंड ने इस सीरीज के दौरान मात दी, ठीक उसी तरह से वह पहले के आठ मैच जीती भी थी। इस सीरीज में तीन बार ऐसा हुआ जब दक्षिण अफ्रीका की टीम 200 रन भी नहीं बना सकी। इसी सीरीज के दौरान टीम की ऐसी भदद भी पिटी की वह महज 83 रन बनाकर पवेलियन में रखी कुर्सियों पर आहें भरती नजर आई। यदि दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच अभी तक हुए कुल मैचों की बात की जाए तो यह आंकडा दक्षिण अफ्रीका के ही पक्ष में जाता है। 1992 से 2008 तक इन दोनों के बीच 39 मैच खेले गए जिसमें 22 का फैसला दक्षिण अफ्रीका के पक्ष में रहा तो 15 इंग्लैंड की झोली में जाकर गिरे। मगर, हां इंग्लैंड में होने वाले मैचों में यह आंकडा इंग्लैंड के ही पक्ष में जाता है। अपने घरेलू मैदान पर जीतने वालों में इंग्लैंड कहीं आगे है। इसका सीधा सा अर्थ है कि उसे अपने घरेलू मैदान पर खेलने का पूरा अनुभव है, साथ ही वहां पर मौजूद तमाम परिस्थितियां भी उन्हीं के अनुकूल दिखाई देती हैं। मगर वहीं दक्षिण अफ्रीका की हालत इंग्लैंड में खेलने के मामले में पहले से ही पतली रही है।
1975 से 2008 तक दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड के मैदान में 28 बार अपनी किस्मत आजमाई। मगर वह सिर्फ 13 बार ही सफल हो पाए। इस बार की सीरीज में मैच गंवा कर दक्षिण अफ्रीका इन्हीं आंकडों में इजाफा कर रही है। इसके अलावा इससे पहले कभी भी इंग्लैंड की टीम ने इस तरह से क्लीन स्वीप करके कोई सीरीज नहीं जीती है। यह भी अपने आप में अहम है। इसके पीछे एक वजह समझ में आती है और वह यह है कि दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखने को मिली है। यदि इस टीम के सिर्फ मध्यक्रम बल्लेबाजों की बात की जाए तो नेटवेस्ट सीरीज के दौरान कॉलिस, डिविलियर्स, डयूमिनी और बाउचर जैसे महारथियों ने मिलकर महज 242 रन ही बनाए हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज भी इस सीरीज में पूरी तरह से नाकाम रहे। इस क्रम के बल्लेबाजों में यदि कॉलिस को छोड दे तो किसी भी बल्लेबाज ने इस सीरीज में कोई अर्द्धशतक नहीं बनाया। कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी रहे जो अपना खाता खोलने से पहले ही पवेलियन लौट गए। कुल मिलाकर इन सभी का खामियाजा पूरी टीम को सीरीज हारकर चुकाना पड़ रहा है। हालाकि इससे पहले ही दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड से 2-1 से टेस्टमैच की सीरीज जीतकर एक इतिहास बनाया था, वहीं एक इतिहास इंग्लैंड भी बना रहा है 5-0 से जीतकर। दोनों ही टीमों का एक ही जमीन पर अलग अलग सीरीज जीतने का ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है।
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