भारत में होने वाली आगामी टेस्ट सीरीज पर क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें लगी हैं। मगर यह सीरीज इस बार दिलचस्प होने के पूरे आसार हैं। आस्ट्रेलिया के नम्बर सात पर खेलने वाले खिलाड़ी और विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट इस बार भारत दौरे पर सन्यास लेने के चलते नहीं हैं। वहीं भारत ने धोनी के रूप में सातवें नम्बर पर खेलने के लिये बेहतर खिलाड़ी ढूंढ लिया है। देखना दिलचस्प होगा कि इस नम्बर पर खेलते हुए क्या धोनी गिलक्रिस्ट के नाम को फीका कर पाते हैं या नहीं।
कमल कान्त वर्मा
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच होने वाली आगामी टेस्ट सीरीज के दिलचस्प होने के आसार हैं। 2004-05 में हुई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने 35 साल के बाद भारत को भारत की ही जमीन पर मात देकर वाह-वाही लूटी थी। लेकिन, इस बार की परिस्थितियां कुछ अलग हैं। और यदि गौर करें तो यह बात देखने में आती है कि आगामी सीरीज में दोनों टीमों के लिए नंबर सात के बल्लेबाज की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।
किसी भी टीम के लिए नंबर सात पर बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी का रोल बड़ा महत्वपूर्ण होता है। टीम का नंबर सात बल्लेबाज न केवल मध्यक्रम और निचले क्रम को जोड़ने वाली कड़ी होता है, बल्कि मैच के परिस्थितियों के अनुरूप उसकी भूमिका में लगातार परिवर्तन भी होता रहता है।
आगामी सीरीज के मद्द्रनजर यदि भारत और ऑस्ट्रेलियाई टीमों के सांतवें नम्बर के बल्लेबाजों की बात की जाए, तो कुछ बातें ऐसी हैं जो बेहद दिलचस्प दिखाई देती हैं। यदि दोनों टीमों का विश्लेषण किया जाए तो ऑस्ट्रेलिया की टीम में सातवें नम्बर पर खेलने वाले खिलाडियों ने टीम की जीतों में अहम योगदान किया है। वहीं भारत की बात की जाए तो भारत में अभी तक ऐसे बल्लेबाज की कमी साफ दिखाई देती है जो सातवें नम्बर पर रह कर अच्छी बल्लेबाजी कर सके। यदि ऑस्ट्रेलिया के सातवें नम्बर के खिलाडियों से मिलान किया जाए तो भारतीय टीम पिछड़ती दिखाई देती है। हालांकि, कपिल देव ने इस क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत की तरफ से रवि शास्त्री, सैयद किरमानी, यशपाल शर्मा, पार्थिव पटेल, दिनेश मोंगिया, वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी सातवें नम्बर पर खेले हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से रोडनी मार्श, इयान हिली, ग्रेग मैथ्यूज और एडम गिलक्रिस्ट के नाम इस क्रम पर बल्लेबाजी करने वालों में मुख्य है। अगर गिलक्रिस्ट को सात नंबर बल्लेबाजी करने वाला सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जब तक गिलक्रिस्ट टीम में मौजूद रहे ऑस्ट्रेलिया इस मामले में भारत से आगे रहा।
सात नम्बर पर खेलने आए खिलाडियों में एक बात और खास है। वह यह है कि इस नम्बर के ज्यादातर खिलाड़ी विकेटकीपर के तौर पर रहे। फिर चाहे वह भारत के पार्थिव पटेल, सैयद किरमानी, धोनी हों या फिर ऑस्ट्रेलिया के हिली या मार्श। 2004-05 के दौरान बोर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज में जहां गिलक्रिस्ट ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खेलते हुए पूरी सीरीज में 150 रन बनाए वहीं, धोनी ने कुल 103 रन और लक्ष्मण ने महज 79 रन बनाए थे। 2007-08 की सीरीज में भी गिलक्रिस्ट भारतीय टीम के सातवें नम्बर के खिलाड़ी से कहीं आगे थे। इस दौरान जहां गिलक्रिस्ट पूरी सीरीज में ही सातवें नम्बर पर मैदान में उतरे वहीं भारत लगातार प्रयोग करता रहा। शायद इसलिये ही भारत ने सातवें बल्लेबाज के तौर पर मो.कैफ, पार्थिव पटेल, कार्तिक को मौका दिया। यही वजह है कि भारत को इस क्रम के लिये सही बल्लेबाज की कमी हमेशा अखरती रही है।
लेकिन, इस बार मामला थोड़ा उल्टा है। भारत के पास धोनी के रूप में एक परिपक्व और जिम्मेदारी खेलने वाला बल्लेबाज है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के पास इस नंबर पर ऐसा कोई नाम नहीं दिखता। वजह साफ है। गिलक्रिस्ट रिटायर हो चुके हैं और उनकी जगह ब्रैड हैडिन आए हैं। ज्यादा संभावना इसी बात की ही है कि हैडिन नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने आएंगे। उन्हें कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का ज्यादा अनुभव नहीं है। भारत में यह उनका पहला टेस्ट दौरा होगा। यहां की स्पिन लेती पिचों पर वह कैसा प्रदर्शन कर पाते हैं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। फिलहाल, इस मामले में भारत इस बार ऑस्ट्रेलिया आगे नजर आता है। अगर ऑस्ट्रेलिया को नंबर सात पर गिलक्रिस्ट का उत्तराधिकारी नहीं मिलता है तो उसके लिए यह परेशानी की बात होगी।
वहीं धोनी के उदय के बाद भारत के लिए नंबर सात के बल्लेबाज की तलाश फिलहाल पूरी हो गई दिखती है। हालांकि, अभी धोनी ने बहुत ज्यादा टेस्ट नहीं खेले हैं, लेकिन पिछले दो सालों में जिस जिम्मेदारी के साथ उन्होंने वनडे और टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी की है, उसके मद्देनजर ऐसा कहने में कोई संकोच नहीं है। यह कोई बड़ी बात नहीं कि अक्तूबर में शुरू हो रही भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज में नंबर सात पर खेलने वाले बल्लेबाजों के प्रदर्शन में अंतर दोनों टीमों के प्रदर्शन का फर्क बन जाए।
कमल कान्त वर्मा
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच होने वाली आगामी टेस्ट सीरीज के दिलचस्प होने के आसार हैं। 2004-05 में हुई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने 35 साल के बाद भारत को भारत की ही जमीन पर मात देकर वाह-वाही लूटी थी। लेकिन, इस बार की परिस्थितियां कुछ अलग हैं। और यदि गौर करें तो यह बात देखने में आती है कि आगामी सीरीज में दोनों टीमों के लिए नंबर सात के बल्लेबाज की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।
किसी भी टीम के लिए नंबर सात पर बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी का रोल बड़ा महत्वपूर्ण होता है। टीम का नंबर सात बल्लेबाज न केवल मध्यक्रम और निचले क्रम को जोड़ने वाली कड़ी होता है, बल्कि मैच के परिस्थितियों के अनुरूप उसकी भूमिका में लगातार परिवर्तन भी होता रहता है।
आगामी सीरीज के मद्द्रनजर यदि भारत और ऑस्ट्रेलियाई टीमों के सांतवें नम्बर के बल्लेबाजों की बात की जाए, तो कुछ बातें ऐसी हैं जो बेहद दिलचस्प दिखाई देती हैं। यदि दोनों टीमों का विश्लेषण किया जाए तो ऑस्ट्रेलिया की टीम में सातवें नम्बर पर खेलने वाले खिलाडियों ने टीम की जीतों में अहम योगदान किया है। वहीं भारत की बात की जाए तो भारत में अभी तक ऐसे बल्लेबाज की कमी साफ दिखाई देती है जो सातवें नम्बर पर रह कर अच्छी बल्लेबाजी कर सके। यदि ऑस्ट्रेलिया के सातवें नम्बर के खिलाडियों से मिलान किया जाए तो भारतीय टीम पिछड़ती दिखाई देती है। हालांकि, कपिल देव ने इस क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत की तरफ से रवि शास्त्री, सैयद किरमानी, यशपाल शर्मा, पार्थिव पटेल, दिनेश मोंगिया, वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी सातवें नम्बर पर खेले हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से रोडनी मार्श, इयान हिली, ग्रेग मैथ्यूज और एडम गिलक्रिस्ट के नाम इस क्रम पर बल्लेबाजी करने वालों में मुख्य है। अगर गिलक्रिस्ट को सात नंबर बल्लेबाजी करने वाला सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जब तक गिलक्रिस्ट टीम में मौजूद रहे ऑस्ट्रेलिया इस मामले में भारत से आगे रहा।
सात नम्बर पर खेलने आए खिलाडियों में एक बात और खास है। वह यह है कि इस नम्बर के ज्यादातर खिलाड़ी विकेटकीपर के तौर पर रहे। फिर चाहे वह भारत के पार्थिव पटेल, सैयद किरमानी, धोनी हों या फिर ऑस्ट्रेलिया के हिली या मार्श। 2004-05 के दौरान बोर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज में जहां गिलक्रिस्ट ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खेलते हुए पूरी सीरीज में 150 रन बनाए वहीं, धोनी ने कुल 103 रन और लक्ष्मण ने महज 79 रन बनाए थे। 2007-08 की सीरीज में भी गिलक्रिस्ट भारतीय टीम के सातवें नम्बर के खिलाड़ी से कहीं आगे थे। इस दौरान जहां गिलक्रिस्ट पूरी सीरीज में ही सातवें नम्बर पर मैदान में उतरे वहीं भारत लगातार प्रयोग करता रहा। शायद इसलिये ही भारत ने सातवें बल्लेबाज के तौर पर मो.कैफ, पार्थिव पटेल, कार्तिक को मौका दिया। यही वजह है कि भारत को इस क्रम के लिये सही बल्लेबाज की कमी हमेशा अखरती रही है।
लेकिन, इस बार मामला थोड़ा उल्टा है। भारत के पास धोनी के रूप में एक परिपक्व और जिम्मेदारी खेलने वाला बल्लेबाज है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के पास इस नंबर पर ऐसा कोई नाम नहीं दिखता। वजह साफ है। गिलक्रिस्ट रिटायर हो चुके हैं और उनकी जगह ब्रैड हैडिन आए हैं। ज्यादा संभावना इसी बात की ही है कि हैडिन नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने आएंगे। उन्हें कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का ज्यादा अनुभव नहीं है। भारत में यह उनका पहला टेस्ट दौरा होगा। यहां की स्पिन लेती पिचों पर वह कैसा प्रदर्शन कर पाते हैं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। फिलहाल, इस मामले में भारत इस बार ऑस्ट्रेलिया आगे नजर आता है। अगर ऑस्ट्रेलिया को नंबर सात पर गिलक्रिस्ट का उत्तराधिकारी नहीं मिलता है तो उसके लिए यह परेशानी की बात होगी।
वहीं धोनी के उदय के बाद भारत के लिए नंबर सात के बल्लेबाज की तलाश फिलहाल पूरी हो गई दिखती है। हालांकि, अभी धोनी ने बहुत ज्यादा टेस्ट नहीं खेले हैं, लेकिन पिछले दो सालों में जिस जिम्मेदारी के साथ उन्होंने वनडे और टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी की है, उसके मद्देनजर ऐसा कहने में कोई संकोच नहीं है। यह कोई बड़ी बात नहीं कि अक्तूबर में शुरू हो रही भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज में नंबर सात पर खेलने वाले बल्लेबाजों के प्रदर्शन में अंतर दोनों टीमों के प्रदर्शन का फर्क बन जाए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें